Monday, November 15, 2010
GET UP n GET IT.. !!
Thursday, November 4, 2010
ON DIS DIWALI..!!
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
- Harivansh Rai Bachchan
कल्पना के हाथ से कमनीय जो मंदिर बना था
भावना के हाथ ने जिसमें वितानों को तना था
स्वप्न ने अपने करों से था जिसे रुचि से सँवारा
स्वर्ग के दुष्प्राप्य रंगों से, रसों से जो सना था
ढह गया वह तो जुटाकर ईंट, पत्थर, कंकड़ों को
एक अपनी शांति की कुटिया बनाना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
बादलों के अश्रु से धोया गया नभ-नील नीलम
का बनाया था गया मधुपात्र मनमोहक, मनोरम
प्रथम ऊषा की किरण की लालिमा-सी लाल मदिरा
थी उसी में चमचमाती नव घनों में चंचला सम
वह अगर टूटा मिलाकर हाथ की दोनों हथेली
एक निर्मल स्रोत से तृष्णा बुझाना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
क्या घड़ी थी, एक भी चिंता नहीं थी पास आई
कालिमा तो दूर, छाया भी पलक पर थी न छाई
आँख से मस्ती झपकती, बात से मस्ती टपकती
थी हँसी ऐसी जिसे सुन बादलों ने शर्म खाई
वह गई तो ले गई उल्लास के आधार, माना
पर अथिरता पर समय की मुसकराना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
हाय, वे उन्माद के झोंके कि जिनमें राग जागा
वैभवों से फेर आँखें गान का वरदान माँगा
एक अंतर से ध्वनित हों दूसरे में जो निरंतर
भर दिया अंबर-अवनि को मत्तता के गीत गा-गा
अंत उनका हो गया तो मन बहलने के लिए ही
ले अधूरी पंक्ति कोई गुनगुनाना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
हाय, वे साथी कि चुंबक लौह-से जो पास आए
पास क्या आए, हृदय के बीच ही गोया समाए
दिन कटे ऐसे कि कोई तार वीणा के मिलाकर
एक मीठा और प्यारा ज़िन्दगी का गीत गाए
वे गए तो सोचकर यह लौटने वाले नहीं वे
खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
क्या हवाएँ थीं कि उजड़ा प्यार का वह आशियाना
कुछ न आया काम तेरा शोर करना, गुल मचाना
नाश की उन शक्तियों के साथ चलता ज़ोर किसका
किंतु ऐ निर्माण के प्रतिनिधि, तुझे होगा बताना
जो बसे हैं वे उजड़ते हैं प्रकृति के जड़ नियम से
पर किसी उजड़े हुए को फिर बसाना कब मना है
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है..!!
Thursday, October 28, 2010
Tuesday, October 12, 2010
LINGUAL DIFFERENCES IN INDIA..KAB TAK!!
Sunday, October 3, 2010
FINGERS CROSS for COMMON WEALTH GAMES 2010
Tuesday, August 31, 2010
लो सहेज तुम अज ये बचपन
बचपन कभी कहीं खोता नहीं है..
बस हम ही उसे भूल जाते कहीं हैं..!
वो मासूम से लड़कपन के खेल क्यों जाने..
दुनिया के कामों में दबे से जाते हैं..!!
न अब तक इसे भूझ पाया है कोई..!
ज़िम्मेदारी के बोझ तले दब जाता क्यों बचपन..
हँसना कैसे भला भूल जाता है कोई..!!
स्कूल में इंतजार छुट्टी की घंटी के बजने..
और गर्मियों की छुट्टियों का थे करते किया..!!
आज उसी स्कूल की दीवारों में दिखती है ज़िन्दगी..
लगता सिमट जीवन की गयी हैं खुशियाँ..!!
उसी स्कूल की छोटी से बेंच पर बैठे बैठे..
पता नहीं कब बचपन के दिन वो बीते..!
जब लड़ते थे दोस्तों से उन दिनों..
कुछ पल में हँस कर मिल जाते गले थे..!!
उम्र के साथ मासूमियत क्यों खोना..
माफ़ करना क्या मुश्किल बड़ा है..!
अगर दिल से कोशिश करेगा जो इंसान..
प्यार बाटना नामुमकिन नहीं है..!!
की फिर ना मिलेगा जो ये गुजर गया तो..!
अँधेरी रातों में रोशन तुम रखना..
की जल न सकेगा ये जो बुझ गया तो..!!
- किंशु शाह
Friday, August 20, 2010
BE YOUR SELF..!!
Thursday, July 29, 2010
Tired of Being Someone I don't know..!!
Wednesday, June 2, 2010
Why I Lost u?
When you loose someone close to you, You cant explain the way you feel,
You make mistakes in life..... But look-so does everyone else
So dont look at all the mistakes I made ......
Look at the ones we made together and how much fun we had........
............... wish u cud forgive me............................
Friday, February 5, 2010
Rahman getting Grammy..?????
dil hia chhota saa....choti si asha...!!!
Thursday, February 4, 2010
missing my frnds
frnds r d treasure of life.. 4 me.. my frnds r my life...