दूसरों की नज़र से देखते.. खुद अपनी ही नज़र भूल गए..!
सबको खुश करते... बस अपनी ही ख़ुशी भूल गए....!
अपने आप से मिले .. जाने कितने बरस बीत गए.. !!
दुनिया की भीढ़ में चलते चलते... मंजिल अपनी भूल गए..!
लोगों के चेहरे पढ़ते... अपनी शकल ही भूल गए ..!
परायों को समझते.. अपनों को ही भूल गए..!
दूसरों के रंग में ढलते..अपना रंग ही भूल गए..!
अपने आप से मिले .. जाने कितने बरस बीत गए.. !!
khud ke liye samay hi kahan hai hamaare paas aajkal .....
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